Tuesday, October 13, 2009

खुद्कुश बमबार लड़के से





by- Neelam Ahmad Basheer

" सुर्ख़ सेबों जैसे गालों वाले ख़ूबसूरत लड़के
तुम्हारा नाम क्या है ?
क्या कहा अब्दुल क़य्यूम ?
अरे मेरे मुन्ने का भी तो येही नाम है
वोही जो सुबह इसी रास्ते से स्कूल गया है
जिस पे तुम जैकेट पहने जा रहे हो
तुम्हें कहीं मिला तो नहीं
शुक्र है इस वक्त तक तो वोह स्कूल पोहुँच गया होगा
उस के अब्बू इस ही सड़क की
एक पुलिस चौकी पे पहरा दे रहे हैं
अब्दुल क़य्यूम उन से रोज़ गले मिल के जाता है
तुम ने उन्हें देखा तो नहीं ?
खुदारा उन्हें अपना नाम न बता देना
कहीं वोह तुम्हें भी गले से न लगा लें ।"
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6 comments:

  1. यह तस्वीर मेरे बेटे की है इसलिए कॉपी राइट का कोई मसला नहीं बनता .
    शीबा असलम फ़हमी

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  2. सच बहुत ही सुन्दर कविता है।

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  3. yeh sirf shayaree naheen . isme insaniyat kee khushboo samayee hai .

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  4. बहुत बेरहम है ज़माना
    पंख कुतर देते है ये तो कबूतरो को उडाने से पहले

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  5. बहुत सुंदर कविता है। सादगी भली, कला से।

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